उद्देश्य
विभिन्न गतिविधियाँ
बालक के सर्वांगीण विकास हेतु निर्दिष्ट पाठ्यक्रम शिक्षा के साथ - साथ वर्ष पर्यन्त पाठ्येत्तर गतिविधियाँ विद्यालय का एक वैशिष्ट्य है। विद्यालय का प्रयास रहता है कि हर बालक अपने मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक विकास हेतु किसी न किसी गतिविधि में अवश्य रूप से भाग लें ।
1. वन्दना - संगीतमय सस्वर ईश वन्दना विद्यालय की थाती में समाहित है । इसमें बालकों के साथ आचार्यों की सहभागिता प्रातःकाल से ही एक संस्कारक्षम वातावरण का निर्माण करती है ।
2. शारीरिक गतिविधियाँ - विद्यालय में प्रातःकाल में सामूहिक शारीरिक अभ्यास बालकों को नियमित रूप से करवाया जाता है । शारीरिक प्रतिस्पर्धाओं हेतु बालकों को विद्यालय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चयन हेतु प्रशिक्षकों की देखरेख में निरन्तर अभ्यास करवाया जाता है । जिसमें जिम्नास्टिक, योगासन वाॅलीबाॅल, कबड्डी, खो-खो, बैडमिण्टन, शतरंज, एथेलेटिक्स, बाॅस्केटबाॅल, टेबल टेनिस, तीरंदाजी, जूडो, कुश्ती इत्यादि सम्मिलित हंै। विद्यामन्दिर के विद्यार्थियों ने ैण्ळण्थ्ण्प्ण् में रजत व काँस्य पदक भी प्राप्त किये हैं। ैण्ळण्थ्ण्प्ण् खेलकूद में विद्याभारती को भारत सरकार की ओर से एक राज्य का दर्जा प्राप्त है।
3. साँस्कृतिक गतिविधियाँ - विद्यालय में उत्सव एवं जयन्तियों का आयोजन आचार्यों के मार्गदर्शन में बालकों द्वारा ही किया जाता है। गीत-संगीत, नृत्य-नाटिका, अभिनय का प्रशिक्षित आचार्यों के सान्निध्य में अभ्यास करवाया जाता है ।
4. वैज्ञानिक गतिविधियाँ - पाठ्यक्रम में निर्दिष्ट प्रायोगिक कार्यों के अतिरिक्त समय-समय पर विज्ञान मेला, विज्ञान प्रदर्शनी, वाद-विवाद, पत्र-वाचन एवं वैदिक गणित से सम्बन्धित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है ।
5. बौद्धिक गतिविधियाँ - विद्यालय में समय-समय पर बौद्धिक प्रतियोगिताओं का विद्यालय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आयोजन किया जाता है। जिसमें सुलेख, श्रुतलेख, चित्रकला, कविता लेखन, कहानी लेखन, अखण्ड भारत मानचित्र , कविता पाठ, गीता श्लोक , सुभाषित, विचार प्रस्तुतिकरण, एकल गीत, संस्कृत लघु एकांकी, वन्दना, वन्दे मातरम् गान, अन्त्याक्षरी, संस्कृति ज्ञान प्रश्नमंच इत्यादि ।
6. अभिभावक- आचार्य सामंजस्य - अभिभावकों व आचार्यों के मध्य सकारात्मक व सहयोगात्मक सम्पर्क बालक के विकास में मुख्य भूमिका निभाते हंै। इस हेतु विद्यालय में अभिभावक सम्मेलन , मातृ सम्मेलन का आयोजन तथा विविध कार्यक्रमों में अभिभावकों की सहभागिता रहती है। आचार्यों द्वारा बालकों के विकास के सम्बन्ध में अभिभावकों से गृह-सम्पर्क कर संवाद स्थापित किया जाता है।
7. शैक्षिक भ्रमण - बालकों में पर्यावरण जागरुकता, ऐतिहासिक जागरुकता एवं घर से बाहर समूह में सामंजस्य स्थापित करने के कौशल को विकसित करने हेतु विद्यालय में समय-समय पर स्थानीय व देश के अन्य स्थानों पर भ्रमण के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
8. चिकित्सा जाँच - बालकों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा समय-समय पर चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है। वर्ष में 2 बार बालकों के आँखों का परीक्षण, दाँतों की जाँच व सामान्य जाँच करवाई जाती है। आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिये विद्यालय में प्राथमिक चिकित्सा सामग्री उपलब्ध रहती है ।
9. पर्यावरण शिक्षा - पर्यावरण शिक्षा के प्रति जागरुकता उत्पन्न करने हेतु विद्याालय परिसर एवं उसके बाहर पौधा रोपण करना, पेड़ों की देख-रेख में आचार्यो एवं बालकों का सहयोग लेना। प्रदूषण रोकने के यथा संभव प्रयास करना ।
11. आधुनिक सूचना तकनीकी - बालक वर्तमान समय के साथ नयी तकनीकी को भी जान सके इसके लिये कक्षा-कक्षों में डिजिटल बोर्ड द्वारा अध्यापन कार्य करवाना। नयी तकनीक से युक्त 20 कम्प्यूटरों की लैब द्वारा कम्प्यूटर के पाठ्यक्रम के साथ अतिरिक्त ज्ञान भी प्रदान किया जाता है।
12. वाहन सुविधा- विद्यालय के बालकों को घर से विद्यालय एवं विद्यालय से घर तक सुरक्षित व सुविधाजनक परिवहन हेतु विद्यालय द्वारा शहर के अधिकांश हिस्सों से न्यूनतम शुल्क पर वाहन व्यवस्था प्रदान करवायी जाती है।
इन सभी व्यवस्थाओं के अतिरिक्त विद्यालय में छात्र संसद, पूर्व छात्र परिषद, विद्यालय पत्रिका ‘आदर्श’ का प्रकाशन, दलित व पिछड़े वर्ग के उत्थान हेतु संस्कार केन्द्र, विभिन्न संस्थाओं एवं सरकारी स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं, आचार्यों के ज्ञान में गुणात्मक वृद्धि हेतु आचार्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन किया जाता है।