अभिभावकों से निवेदन

हमें गर्व है कि हम भारत माँ की सन्तान हैं। आप के बच्चे कल के भारतवर्ष के विधाता है। उनमें देश-भक्ति, भारतीयता, धर्म-परायणता, लोक-व्यवहार, कुशल नेतृत्व, परिश्रमशीलता, अनुशासन, धैैर्य-साहस एवं स्वावलंबन आदि गुणों का विकास हो। घर में तदनुरूप महापुरुषों की कथा-कहानी सुनने-सुनाने, गीत-प्रार्थना, चर्चा आदि कार्यक्रमों द्वारा समूचे परिवार की ऐसी दिनचर्या बनाएँ और ऐसा वातावरण तैयार करें जिससे उनका ठीक से विकास हो। प्रातःकाल अच्छे भजन व देशभक्ति के गीतों की कैसेट बजावें।
अपने बच्चों के विकास के लिये निम्नलिखित बिन्दुओं की ओर ध्यान देने की कृपा करें:
बच्चों द्वारा पूछी गई बात को ध्यान से सुनें, प्रश्नों का सरलता से उत्तर दें। मामूली सफलता पर भी उनकी पीठ थपथपा कर प्रोत्साहित करें। गलती होने पर समझाएँ, उनको दण्डित न करें। उनकी बात को समझकर युक्तिपूर्वक एवं प्यार से समाधान करें।
विद्यालय के काम भी करने दीजिये, सामाजिक व्यवहार सिखाइये, यदि वह किसी कठिन काम को नहीं कर पाता है तो डाँटिये नहीं, अवसर दीजिये, इससे उनका विकास होगा।
विद्यालय के नियमों के अनुसार उसे व्यवहार के लिए प्रेरित कर अनुपालना करवाएँ। कृपया देंखें कि विद्यालय से मिले गृहकार्य वह प्रतिदिन पूरा करे। अवकाश, विलम्ब, गणवेश, गृहकार्य, सम्पर्क एवं पत्र व्यवहार आदि के लिए दैनन्दिनी की समुचित व्यवस्था है। कृपया आवश्यकतानुसार इसका उपयोग करें तथा माँगे जाने पर सही जानकारी देवें।
दैनन्दिनी के नियमित अवलोकन के लिये आपके द्वारा दिये गये पाँच मिनट भी बालक के विकास को कहीं ऊँचाई पर पहुँचा सकते हैं। आवश्यकता होने पर अथवा माह में एक बार पूर्व-समय निर्धारित कर विद्यालय आकर मिलते रहें। इससे बालक के विकास में सहायता मिलेगी।